लॉस एंजेल्स, 09 मई । अमेरिका ने मंगलवार को ईरान के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा कर भारत सहित एशिया के चार बड़े देशों चीन, जापान और कोरिया को एक बार फिर पसोपेश में डाल दिया है। ईरान इन देशों को 1.92 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चे तेल की आपूर्ति करता है, जिसमें भारत एक मुख्य आयातक देश के रूप में प्रतिदिन 4 लाख 71 हज़ार बैरल कच्चा तेल लेता है। चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरा बड़ा देश है, जो कच्चे तेल का उपभोक्ता है।
ओबामा कार्यकाल में सन 2015 में हुए छह देशों के आणविक समझौते को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दरकिनार करने के साथ ईरान के साथ आर्थिक सम्बंध रखने रखने वाले उन देशों को भी चेतावनी दे डाली है, जो उससे तेल का आयात करते हैं। यह चेतावनी कितनी भयावह और कब से प्रभावी होगी, इस पर क़रीब छह माह के समय की बात की जा रही है। आणविक समझौते के बाद जनवरी 2016 में ईरान ने फिर से कालांतर में एक मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन शुरू कर दिया था।
फ़्रान्स और जर्मनी ने आणविक डील को एकतरफ़ा ख़त्म किए जाने के अमेरिकी फ़ैसले पर अफ़सोस ज़ाहिर किया गया है। उधर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि अमेरिका को छोड़कर अन्य देशों- रूस, चीन, फ़्रान्स, इंग्लैंड और जर्मनी के साथ आणविक संधि जारी रहेगी। इसके लिए ईरान के विदेश मंत्री सम्पर्क बनाए हुए हैं।